बंदी छोड़ व दिवाली के उपलक्ष्य मे करवाया गया कवि दरबार - मछौंडा
इतहासिक गुरद्बारा मंजी साहिब(बउली साहिब) मे मीरी-पीरी के मालिक छठी पातशाही गुरु हरगोबिंद साहिब जी के गवालियर के किले से 52 हिंदू पहाड़ी राजाओं की रिहाई के दिवस की याद मे बंदी छोड़ दिवस मनाया गया जिसमे हजूरी रागी हीरा सिंह ने कीर्तन द्धारा संंगतो को निहाल किया व विशेष तौर पर कवि दरबार का आयोजन किया गया जिसमे पंथ के मशहूर कवि प्रो. गुरचरण सिंह जोगी व प्रो. गुरमीत सिंह ने गुरु हरगोबिंद साहिब जी को समर्पित कविताओं द्वारा संंगतो को निहाल किया। इस अवसर पर जत्थेदार हरपाल सिंह मछौंडा मैंबर एस. जी. पी. सी. अम्बाला ने संंगतो को बधाई देते हुए आज के इतिहास बारे बताया कि उस समय के जालिम बादशाह जहांगीर द्धारा छेंवे पातशाह गुरु हरगोबिंद साहिब जी को गवालियर के किले मे नजरबंद किया हुआ था, जहांगीर को भूल का एहसास होने पर उसने गुरु जी की रिहाई के हुकम दिए परन्तु गुरु जी ने कहा कि उसके द्धारा कैद किए गए 52 हिन्दू पहाड़ी राजाओं को भी छोडऩे को कहा, जहांगीर ने शर्त रखी कि जो राजा आप का चोला पकड़ लेगा वह छोड़ा जा सकता है। गुरु जी ने सपैशल 52 कलीयों वाला चोला तैयार करवाया जिसे पकड़ कर सभी 52 पहाड़ी राजा बंदी मुक्त हो गए इसिलए गुरु जी को बंदी छोड़ दाता कहा जाता है। जिस दिन गुरु जी 52 पहाड़ी राजाओं को छुड़वाकर हरमंदिर दरबार अमरितसर साहिब पहुंचे उस दिन दिवाली का दिन था इसी खुशी मे बाबा बुढा जी की अगवाई मे सिख संंगतो ने हरिमंदिर साहिब मे दीपमाला की व आतिशबाजी की। इसीलिए दीवाली वाले दिन पूरी सिख कौम इस दिन को बंदी छोड़ दिवस के रुप मे मनाती है। इस दिन को संसार भर के सिख प्यार व श्रद्धा से मनाते है आज के समागम मछौंडा ने आई संगतो का स्वागत व धन्यवाद किया। कवि दरबार उपरांत ढाडी सतनाम सिंह बल के जत्थों ने संंगतो को निहाल किया। आज के समागम में मुख्य तौर पर हाजिर एडवोकेट सुरजीत सिंह वालिया, अमरजीत सिंह सुंदर नगर, तरलोचन सिंह बलाना, गुरदर्शन सिंह बलाना, कुलवंत सिंह सी. एच., गुरु बचितर सिंह, रविन्द्र सिंह सोनू, मैनेजर कुलदीप सिंह व हैड ग्रंथी सतनाम सिंह मौजूद रहे।
जनता का विश्वाश है कि उन के काम तो विज ही करवा सकता है, ये दरबार फिर से शुरू होना चाहिए जिस से दरबार में आने वालों को हर सुविधा हो , अब तो उन्हे मजबूरन धूप में, बारिश में लाइन लगा कर घंटो खड़े रहना पड़ता है।