ABN : कोरोना वायरस की हवा में मौजूदगी संबंधी खुलासों के बाद अब ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग के वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि वायरस के छोटे या बड़े कण हवा में लंबी दूरी तय कर सकते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, ड्रॉपलेट (बड़ी बूंदें) या एरोसोल (सूक्ष्म बूंदें) हवा में फैलकर लोगों को संक्रमित कर सकती हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग की सह शोधकर्ता डॉ. फेलिसिटी मेहेनदाले का कहना है कि गणितीय मॉडल के जरिए पता चला है कि बड़ी या सूक्ष्म बूंदें भी मध्यम आकार की बूंदों के बराबर हवा में दूर तक जा सकती है। हां पीपीई किट से बड़ी या मध्यम बूंदों से बचाव संभव है, लेकिन सूक्ष्म बूंदों से बचना नामुमकिन है। अमेरिका के इन्फेक्शियस डिसीज विशेषज्ञ डॉ. एंथनी फॉसी ने हाल ही जामा जर्नल को दिए एक इंटरव्यू में कहा था, अब तक ये स्पष्ट नहीं हो सका है कि वायरस कैसे फैलता है। इस तरह का कोई भी ठोस अध्ययन अब तक सामने नहीं आया है, जिससे ये स्पष्ट हो सके कि बूंदे छह फुट से अधिक की दूरी तय नहीं कर सकती हैं।#SHARE#COMMENT#AmbalaBreakingNews
जनता का विश्वाश है कि उन के काम तो विज ही करवा सकता है, ये दरबार फिर से शुरू होना चाहिए जिस से दरबार में आने वालों को हर सुविधा हो , अब तो उन्हे मजबूरन धूप में, बारिश में लाइन लगा कर घंटो खड़े रहना पड़ता है।