'सरबंसदानी' श्री गुरु गोबिन्द सिंह ने धर्म के लिए समस्त परिवार का दिया बलिदान :-चित्रा सरवारा
श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी के प्रकाश पर्व पर हरियाणा डेमोक्रेटिक फ्रंट की राष्ट्रीय महासचिव चित्रा सरवारा ने आज अम्बाला छावनी के पल्लेदार मोहल्ला स्तिथ गुरुद्वारा साहिब में शीश नवाया। इस अवसर पर चित्रा ने संबोधित करते हुए कहा कि सरबंसदानी श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी ने धर्म की रक्षा के लिए अपने पूरे परिवार की कुर्बानी देकर दुनिया के लिए एक बेमिसाल इतिहास रच दिया। उन्होंने कहा कि श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी ने तत्कालीन शासकों की ओर से किए जा रहे अन्याय और अधर्म के खिलाफ लड़ने के लिए खुद को समर्पित किया और उन्होंने उदाहरण के साथ नेतृत्व किया और अनुकरणीय साहस दिखाया। इस अवसर पर गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा चित्रा सरवारा को सिरोपा भी भेंट किया गया।
चित्रा ने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह सिखों के दसवें गुरु थे। वह एक महान योद्धा,कवि,भक्त एवं आध्यात्मिक गुरु थे। बैसाखी के दिन उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की जो सिखों के इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। गुरु गोबिन्द सिंह ने सिखों की पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब को पूरा किया तथा उन्हें गुरु रूप में सुशोभित किया।
उन्होने मुगलों और उनके सहयोगियों के साथ कई युद्ध लड़े। उन्होंने धर्म के लिए समस्त परिवार का बलिदान किया, जिसके लिए उन्हें 'सरबंसदानी'(सरबंसदानी) भी कहा जाता है। इसके अतिरिक्त जनसाधारण में वे कलगीधर,दशमेश,बाजा वाले आदि कई नाम,उपनाम एवं उपाधियों से भी जाने जाते हैं।
गुरु गोबिंद सिंह जहां विश्व की बलिदानी परम्परा में अद्वितीय थे, वहीं वे स्वयं एक महान लेखक, मौलिक चिंतक तथा संस्कृत सहित कई भाषाओं के ज्ञाता भी थे। उन्होंने स्वयं कई ग्रंथों की रचना की। वे विद्वानों के संरक्षक थे। उनके दरबार में कवियों तथा लेखकों की उपस्थिति रहती थी, इसलिए उन्हें 'संत सिपाही' भी कहा जाता था। वे भक्ति तथा शक्ति के अद्वितीय संगम थे।
जनता का विश्वाश है कि उन के काम तो विज ही करवा सकता है, ये दरबार फिर से शुरू होना चाहिए जिस से दरबार में आने वालों को हर सुविधा हो , अब तो उन्हे मजबूरन धूप में, बारिश में लाइन लगा कर घंटो खड़े रहना पड़ता है।