ABN : हरियाणा की मंडियों में पड़ोसी राज्यों के किसानों का धान भी खरीदा जाएगा। मगर इसके लिए संबंधित किसान को प्रदेश सरकार की ‘मेरी-फसल, मेरा ब्योरा’ पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। हरियाणा में धान बेचने वाले पड़ोसी राज्य के किसान किसी प्रकार की गड़बड़ी तो नहीं कर रहे। इसे लेकर कुछ शर्तें भी लगाई गई हैं।आढ़तियों और राइस मिलरों ने आला अफसरों के साथ बैठक कर यह मांग रखी थी कि हरियाणा की सीमाओं से जुड़े पड़ोसी राज्यों पंजाब, उतर प्रदेश व राजस्थान के कई किसान हरियाणा की मंडियों में धान बेचना चाहते हैं। इस पर उन्हें विचार करने का आश्वासन दिया गया था।खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके दास ने बताया कि यह तय किया गया है कि सूबे से सटे पड़ोसी राज्यों के किसान सशर्त हरियाणा में धान बेच सकते हैं। हर जिले में इन कार्यों पर विशेष तौर पर जिला उपायुक्त की निगरानी रहेगी।
हरियाणा की मंडियों में भले ही धान व बाजरे की खरीद शुरू हो गई है। मगर ये खरीद प्रक्रिया अभी खासी सुस्त है। जिस वजह से किसानों में रोष और नाराजगी है। हरियाणा में धान खरीद के दौरान सोमवार को प्रदेश की मंडियों में 8,34,721.26 क्विंटल धान पहुंचा। जिसमें से 43,794.44 क्विंटल की खरीद की गई। 56,372.23 क्विंटल बाजरा पहुंचा। जिसमें से 4309.2 क्विंटल की खरीद की गई।पड़ोसी राज्य के किसान हरियाणा में सिर्फ धान बेच पाएंगे। मक्का, मूंग, कपास, बाजरा व अन्य कोई भी फसल की प्रदेश की मंडियों में खरीद नहीं की जाएगी।खरीद से पहले पड़ोसी किसान को मेरी फसल-मेरा ब्योरा पोर्टल पर रजिस्टर्ड करवाना होगा।किसान ने फसल अपनी जमीन पर ही बोई है और कितने एकड़ में बोई है? उतनी जमीन की फर्द किसान को अपने साथ लानी होगी।किसान ने फसल यदि ठेके पर बोई है तो फसल बेचने के लिए उसे जमीन मालिक को फर्द के साथ मंडी में लाना होगा।कुल जमीन के जितने हिस्से में धान बोया है, उस जमीन का खसरा और गिरदावरी नंबर की जानकारी भी देनी होगी।पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन के बाद फसल बेचने के लिए किसान के मोबाइल पर अपनी बारी से संबंधित एसएमएस आएगा। उसी तिथि पर किसान अपनी फसल हरियाणा की मंडियों में बेचने लाएगा।पड़ोसी राज्यों से आने वाले सभी किसानों को मंडी में प्रवेश के दौरान कोविड-19 से जुड़े तमाम निर्देशों को मानना होगा।
जनता का विश्वाश है कि उन के काम तो विज ही करवा सकता है, ये दरबार फिर से शुरू होना चाहिए जिस से दरबार में आने वालों को हर सुविधा हो , अब तो उन्हे मजबूरन धूप में, बारिश में लाइन लगा कर घंटो खड़े रहना पड़ता है।