इसलिए मनाया जाता है लोहड़ी का त्यौहार
आज लोहड़ी का त्यौहार हैं। यह त्यौहार उत्तर भारत में प्रमुखता से मनाया जाता है। लोहड़ी का त्यौहार सिख समुदाय के लिए बेहद महत्वपूर्ण त्यौहार है। बता दें कि उत्तर भारत में इस त्यौहार को किसानों के त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। लोहड़ी के त्यौहार को मकर सक्रांति से एक रात पहले मनाया जाता है। आज लोहड़ी के त्यौहार के दिन हम आपको लोहड़ी के इतिहास के बारे में बताएंगे , कथाओं के अनुसार , अकबर के शासनकाल में पंजाब में दूल्हा भाटी नाम का व्यक्ति था। बता दें दूल्हा भाटी को पंजाब में रोबिन हुड के नाम से जाना जाता था। वह समाज सेवा के बहुत काम करता था । जैसे ग़रीबों को धन देना और अवगाह हुई लड़कियों को छुवाना। वह इन लड़कियों की शादी गांव के लड़कों से करवाता था। कहा जाता है कि बिना दूल्हा भाटी को याद किये और सुंदर मुंदरिये का गीत गाए लोहड़ी का त्यौहार अधूरा होता है। नई दुल्हन और नवजात शिशु के लिए लोहड़ी का पहला त्यौहार बेहद ख़ास होती है , इसके इलावा किसानों के लिए भी यह त्यौहार बहुत ख़ास होता है। मान्यताओं के अनुसार , लोहड़ी पर रबी की फसल को काटा जाता है। इस दिन लॉग नृत्य गिद्दा और भांगड़ा करते है। इसके साथ ही लोहड़ी में भुने हुए मकई के दानों को खाते है और इन दिनों पतंगबाजी भी की जाती है। पंजाब में भोजन में ज़्यादातर इन दिनों मक्के की रोटी और सरसों के साग को खाने का भी प्रचलन हैं।
जनता का विश्वाश है कि उन के काम तो विज ही करवा सकता है, ये दरबार फिर से शुरू होना चाहिए जिस से दरबार में आने वालों को हर सुविधा हो , अब तो उन्हे मजबूरन धूप में, बारिश में लाइन लगा कर घंटो खड़े रहना पड़ता है।